फतेहाबाद। भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर सात समंदर पार भी राखियां भेजी जा रही हैं। बहनें अपने भाइयों के लिए फतेेहाबाद के डाकघर से प्रतिदिन अंतरराष्ट्रीय डाक के माध्यम से 20 से 25 राखियां भेज रही हैं। यही नहीं देश व प्रदेश के हिस्सों में भी राखियां भेजने का दौर जारी है। जिसको लेकर डाक विभाग ने डाकघर में अलग से काउंटर भी खोल रखा है, जहां आसानी से राखियां भेजी जा सकें।
सात समंदर पार, बहनें भेज रही भाइयों को राखी का प्यार
फतेहाबाद में इस बार 11 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के आपस में स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधते हुए उनकी आरती करते हुए भगवान से भाई की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं। बहन के राखी बांधने के बदले में भाई सदैव उनकी रक्षा करने का वचन देता है।
फतेहाबाद के मुख्य डाकघर से एक अस्त से पांच अगस्त तक प्रतिदिन करीब 20 से 25 राखियां विदेशों में भेजी गई हैं। आमुमन कनाडा व अमेरिका में यह राखियां भेजी जारी हैं। इसके अलावा इंग्लैंड, न्यूजीलैंड व विदेश में अन्य इलाकों में भी बहने अपने भाइयों के लिए राखियां भेज रही हैं। इस बार ई-राखी की बजाए बहनें यहां से राखियां खरीदकर विदेशों में बैठे अपने भाइयों के लिए राखियां भेज रही हैं। संवाद
देश व प्रदेश में भी जा रही राखियां
यही नहीं देश व प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भी बहनों द्वारा अपने भाइयों के लिए राखियां भेजी जा रही हैं। जो लोग बाहर काम करते हैं और शहर में नहीं आ सकते, उनके लिए बहनें विशेष तौर पर राखियां भेज रही हैं। वहीं डाकघर की ओर से भी वाटर प्रूफ लिफाफे दिए जा रहे हैं, जोकि समाप्त हो गए हैं। फतेहाबाद के मुुख्य डाकघर पर 200 वाटर प्रूफ लिफाफे आऐ थे, जो बिक चुके हैं।
इस बार राखी को लेकर महिलाओं में अच्छा जोश देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय डाक के लिए भी प्रतिदिन करीब 20 से 25 राखियां आ रही हैं। इसके अलावा देश के अन्य इलाकों में भेजने के लिए प्रतिदिन 100 से अधिक राखियां डाक के द्वारा व रजिस्ट्री से भेजी जा रही हैं। वाटर प्रूफ लिफाफे आते ही बिक गए हैं और इनकी डिमांड भेजी गई है। महिलाओं को परेशानी न हो इसके लिए डाकघर में अलग से काउंटर बनाया गया है।
-नरेंद्र कुमार, मुख्य डाकपाल, फतेहाबाद।