देशी गायों पर सूर्य ग्रहण का कितना असर, NDRI ने शुरू की रिसर्च

देशी गायों पर सूर्य ग्रहण का कितना असर, NDRI ने शुरू की रिसर्च

करनाल। सूर्य ग्रहण के दौरान देशी गायों पर क्या प्रभाव पड़ता है, क्या इन जानवरों की दूध देने की क्षमता और व्यवहार में कोई बदलाव आया है या उनकी स्थिति सामान्य बनी हुई है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) स्वदेशी गायों के व्यवहार और शारीरिक कार्यों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर शोध कर रहा है। इसी शोध के चलते मंगलवार को सूर्य ग्रहण के दौरान जहां संस्थान में मौजूद गौशाला में पशुओं के व्यवहार की वीडियोग्राफी की गई, वहीं उनकी दूध देने की क्षमता की भी जांच की गई. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पर कुछ अध्ययन हो चुके हैं और अब अगले कुछ दिनों तक जानवरों के व्यवहार, शारीरिक गतिविधियों और दूध की क्षमता पर लगातार नजर रखी जाएगी.
हालांकि शोध के नतीजे अगले कुछ दिनों में सामने आ जाएंगे, लेकिन सूर्य ग्रहण का जानवरों के व्यवहार पर तत्काल असर जरूर देखा गया है. जिसमें जानवर काफी शांत दिख रहे थे, लेकिन बुधवार और गुरुवार को उनके व्यवहार को देखकर ही व्यावहारिक बदलाव के बारे में कुछ कहा जा सकता है. हालांकि जानवरों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव वर्ष 2003 से एनडीआरआई में कवर किया जा रहा है। सूर्य ग्रहण के प्रभावों का कई बिंदुओं पर परीक्षण किया जा रहा है, इसमें कई प्रभाव भी देखे गए हैं। सबसे ज्यादा असर व्यावहारिक बदलाव में दिख रहा है, जो तुरंत नजर आने लगा है

पिछले कई सालों में सूर्य ग्रहण के दौरान जानवरों पर तुरंत असर देखने को मिला है। गाय शांत हो जाती है, एक तरफ बैठ जाती है, चारा भी नहीं खाती, हालांकि जलवायु परिवर्तन परियोजना के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आशुतोष, जो वर्तमान में इस पर शोध कर रहे हैं, ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि सूर्य ग्रहण शाम 4:20 बजे शुरू हुआ, इसके बाद शाम 6 बजे तक देशी गायों की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई. फिलहाल 26 और 27 अक्टूबर को भी सुबह, दोपहर, शाम और रात में जानवरों के व्यवहार की लगातार जांच की जाएगी, उसके बाद ही व्यावहारिक बदलाव पर कोई सटीक टिप्पणी की जा सकेगी. इसके अलावा कई बिंदुओं पर अध्ययन चल रहा है, जैसे सूर्य ग्रहण का दूध पर क्या प्रभाव पड़ता है, उनका दैनिक रुझान कितना प्रभावित होता है। कितना सुस्त
इंसानों के साथ-साथ जानवरों पर भी असर
वहीं दूसरी ओर अन्य वैज्ञानिकों ने भी बातचीत में अपनी राय व्यक्त की कि सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी को सूर्य से मिलने वाली निरंतर ऊर्जा कम हो जाती है। जिसका असर जानवरों के साथ-साथ इंसानों पर भी पड़ता है, क्योंकि शरीर की दैनिक ऊर्जा प्रवृत्ति प्रभावित होती है। जैविक घड़ी अनियमित होती है। जिस समय शरीर को ऊर्जा मिलती है, उसी समय शरीर उसका अभ्यस्त हो जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, उदाहरण के लिए, यदि कोई इस दौरान नौ बजे भोजन करता है, तो उसे प्रतिदिन उसी समय भूख लगती है। जब वह सोता है तो उसी समय सो जाता है। इसी प्रकार सूर्य से नियमित रूप से जो ऊर्जा प्राप्त होती है वह ग्रहण के समय घट जाती है तो उसका प्रभाव पड़ता है।

 

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