करनाल : पांच फीसदी शिक्षक, 15 फीसदी छात्र अनुपस्थित मिले

करनाल : पांच फीसदी शिक्षक, 15 फीसदी छात्र अनुपस्थित मिले

करनाल। शिक्षा दीक्षा शैक्षिक पर्यवेक्षण के तहत शिक्षा विभाग मुख्यालय की टीम ने जिले के 117 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में एक साथ दस्तक दी. एसीएस से लेकर छोटे अफसरों तक सभी ने अलग-अलग स्कूलों में चेकिंग की। प्रार्थना सभा से लेकर मध्यावकाश तक टीमें विद्यालय में रहीं। इस दौरान पांच प्रतिशत शिक्षक व 15 प्रतिशत छात्र अनुपस्थित रहे। टीम ने बोर्ड परीक्षा परिणामों में सुधार की गुंजाइश भी बताई।
एसीएस सहित सभी अधिकारियों की टीम सुबह प्रार्थना सभा से लेकर दोपहर अवकाश के समय तक स्कूलों में डटी रही. इस दौरान टीमों ने शिक्षकों की शिक्षण पद्धति, मध्यान्ह भोजन, अभिलेख, छात्र संख्या का स्तर, अवधि, पाठ्यक्रम, संस्थागत संरचना, पदों की स्थिति, बेंच, क्लास रूम, लैब आदि सहित कई बिंदुओं पर गहन पड़ताल की। छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए अधिकारियों ने शिक्षकों की शिक्षण विधियों के बारे में भी जाना।

शिक्षा विभाग के एसीएस ने राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल रेलवे रोड का निरीक्षण किया। उधर, विभाग निदेशक अंशज सिंह घरौंदा के राजकीय विद्यालय एवं मॉडल संस्कृति विद्यालय परियोजना के संयुक्त निदेशक विजय कुमार यादव ने माडल टाउन के राजकीय विद्यालय का निरीक्षण किया।शैक्षणिक पर्यवेक्षण के बाद कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के सभागार में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई. यहां अपर उपायुक्त डॉ. वैशाली शर्मा, समाज की सीईओ अदिति, जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल चौधरी सहित मुख्यालय के अन्य अधिकारी व स्कूल के प्राचार्य मौजूद थे।संचालनालय के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने भी पीपीटी से प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
बैठक में एसीएस डॉ. महाबीर सिंह ने विभाग की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि समाज के किसी भी क्षेत्र में बदलाव के लिए आकलन बहुत जरूरी है। आकलन के बाद ही लक्ष्य तय किया जा सकता है कि किस तरह के सुधार की जरूरत है। शिक्षा विभाग में भी सूक्ष्म स्तर पर मूल्यांकन किया जा रहा है। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में बहुत अच्छा सुधार देखने को मिला है, फिर भी और सुधार की गुंजाइश है और हमें यह सुधार लाना है।
हर गतिविधि पर नजर रखते हैं अधिकारी : निदेशक
शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अंशज सिंह ने प्राचार्यों को निर्देश देते हुए कहा कि विद्यालय में नेतृत्व के साथ कार्य करें। स्कूल में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखें। एसएमसी की भागीदारी बढ़ाना। बच्चे शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से स्कूल आ रहे हैं, अपने उद्देश्य को पूरा करें। जहां कमियां हैं, उन्हें सुधारने के लिए मिलकर काम करें।
निगरानी में चल रहे 117 स्कूलों की यह स्थिति है
– 95 प्रतिशत शिक्षक व 85 प्रतिशत उपस्थित रहे। 83 प्रतिशत कंप्यूटर प्रयोगशालाएं और 82 प्रतिशत विज्ञान प्रयोगशालाएं अच्छी तरह अनुरक्षित थीं।
90 प्रतिशत विद्यालयों में पाँच घंटे एवं 100 प्रतिशत विद्यालयों में तीन घंटे विद्युत आपूर्ति की गई।
शत-प्रतिशत विद्यालयों में पेयजल की सुविधा है।
– 90% विद्यालयों में पुस्तकालय हैं जबकि केवल पुस्तकें जारी करने का प्रतिशत मात्र 9.22% है, जो चिंता का विषय है।
– ज्यादातर स्कूलों में पढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जा रही पद्धति और सामग्री भी सही पाई गई।
93 फीसदी स्कूलों में एसएमसी की बैठक हो चुकी है। सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करने वाली 97 फीसदी से ज्यादा लड़कियों को स्कूलों में यह सुविधा मिल रही है.
छात्र परिवहन सुरक्षा योजना के तहत 719 छात्राओं को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।
बारहवीं का रिजल्ट भी 87.62 फीसदी और दसवीं का 67.48 फीसदी रहा है, इसमें बढ़ोतरी की गुंजाइश है।

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