कुरुक्षेत्र न्यूज़ : पौष अमावस्या पर श्रद्धालुओं की आस्था कड़ाके की ठंड पर भारी रही

कुरुक्षेत्र न्यूज़ : पौष अमावस्या पर श्रद्धालुओं की आस्था कड़ाके की ठंड पर भारी रही

कुरुक्षेत्र। धर्मनगरी में पौष अमावस्या पर श्रद्धालुओं की आस्था ठंड पर भारी नजर आई। कड़ाके की ठंड के बावजूद भक्तों ने मंदिर में स्नान किया। दान, पुण्य, पिंडदान और गति कर्म करने हजारों श्रद्धालु पिहोवा के ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर और सरस्वती तीर्थ पहुंचे। सुबह से ही भक्तों ने घाटों पर स्नान कर अपने पूर्वजों के अक्षय मोक्ष के लिए पिंडदान, गति और पूजा की। हालांकि श्रद्धालु पूर्व संध्या पर ही तीर्थ यात्रा पर पहुंच गए थे।

वहीं अमावस पर विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं की ओर से भंडारा का आयोजन किया गया। शहर में कई जगहों पर दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया, वहीं पेहोवा के भगवान कार्तिकेय को तेल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. पितरों की तीर्थ यात्रा पर किए गए पिंडदान के बाद भगवान कार्तिकेय को तेल चढ़ाने की परंपरा है। मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर महाराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध में मारे गए लोगों की आत्मिक शांति के लिए स्वामी कार्तिकेय जी को तेल अर्पित किया था। तब से लेकर आज तक यह परंपरा जारी है। गति और पिंडदान के बाद भक्त कार्तिकेय मंदिर में तेल चढ़ाते हैं। इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।

यज्ञदत्त शास्त्री ने बताया कि पौष मास की अमावस्या के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है। इसलिए इस महीने को पौष के नाम से जाना जाता है। इस अमावस्या का विशेष महत्व होता है। कुंडली में काल सर्प दोष और पितृ दोष निवारण के लिए इस अमावस्या पर विशेष पूजा की जाती है। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान के साथ भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
अमावस्या पर स्नान, ध्यान और दान का महत्व: प्रेम
दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के संचालक पंडित प्रेम शर्मा ने बताया कि पौष की अमावस्या मूल नक्षत्र में है।धन राशि में सूर्य और चंद्र हैं। जब दोनों एक राशि में हों तो पौष अमावस्या होती है। अमावस्या पितरों की तिथि होती है इसलिए इस दिन श्रद्धालु स्नान, ध्यान और दान करते हैं।

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