महेंद्रगढ़-नारनौल : आस्था राव ने परिवार को न्याय दिलाया

महेंद्रगढ़-नारनौल : आस्था राव ने परिवार को न्याय दिलाया

लोगों को राष्ट्रीय मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए पूरे विश्व में 10 दिसंबर को राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। ग्राम जैतपुर की बेटी आस्था राव ऐसी ही एक मिसाल हैं, जिन्होंने 22 साल बाद मानवाधिकार का इस्तेमाल कर अपने माता-पिता और भाई को कोर्ट से न्याय दिलाया।

1999 में आस्था के माता-पिता और भाई के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज किया गया था। निचली अदालत ने दहेज हत्या के मामले में पिता को दस साल की सजा सुनाई थी। भाई की नौकरी चली गई। पूर्व व्याख्याता मां विजय यादव जमानत पर बाहर थी। बाद में उनके पिता को जमानत मिलने के बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। भाई डिप्रेशन में चले गए और उनकी नौकरी भी चली गई। आस्था पर हर तरफ से मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। इसके बाद आस्था को परिवार को न्याय दिलाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। पिता के बचपन के दोस्त और सेवानिवृत्त कॉलेज प्रिंसिपल लाल सिंह, चचेरे भाई राव बिजेंद्र, राकेश और दिनकर और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके संघर्ष में उनका साथ दिया। आस्था ने अपनी भाभी रेणुका (मृतक) के माता-पिता और अन्य गवाहों का स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसके बाद उन्होंने बार-बार अपने वकील बदले। एक बार जोधूपर केस में सलमान खान के वकील रहे विवेक बाजवा भी हुए थे लेकिन बाद में बदल गए। इसके बाद उन्हें 22 साल बाद न्याय मिला। नवंबर 2021 को उसकी मां को कोर्ट महिला उत्पीड़न महानगर प्रथम ने रिहा कर दिया। अक्टूबर 2022 को भाई को भी इसी मामले में रिहा कर दिया गया।

संघर्ष में पूरी पढ़ाई
उक्त घटना के बाद आस्था गांव में अपने निर्माणाधीन मकान में रहने लगी।वहां घरों के दरवाजे-खिड़कियां तक नहीं थे। बिजली और पानी की भी व्यवस्था नहीं थी। घर से तीन किलोमीटर दूर जाकर पटौदी के लिए ट्रेन पकड़ती और वहां से गुरुग्राम के लिए गाड़ी पकड़ती। घर आकर रात में अंगीठी आदि जलाकर पढ़ाई करती थी। इन विषम परिस्थितियों में उस समय आस्था ने बीए ऑनर्स (अंग्रेजी) में टॉप किया था। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इस दौरान उसे जेल से अपने पिता के पत्र मिलते थे, लेकिन वह उन पत्रों को अपने रूममेट को कभी नहीं दिखाती थी, वह उन्हें तभी पढ़ती थी जब वह अकेली होती थी।
यह मामला था
आस्था राव का कहना है कि उनका परिवार नारनौल शहर के महेंद्रगढ़ रोड स्थित ऑफिसर्स कॉलोनी के ए-12 मकान में रहता था. 10 फरवरी 1998 को उसके भाई योगेश की शादी नारनौल के आईटीआई निवासी रेणुका से हुई थी। योगेश जयपुर में केंद्र के एनएसएसओ (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय) में नौकरी के कारण जयपुर में रहता था। वह वहां रेणुका के साथ किराए का मकान लेकर रहता था। 16 जून, 1999 को रेणुका ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसके माता-पिता ने जयपुर के मानसरोवर थाने में पिता जोगेंद्र सिंह, मां विजय यादव और भाई योगेश के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया था।बाद में उसके पिता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

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