आजादी के समय जो सपने देखे वो अभी अधूरे

भूना। गांव बैजलपुर के दो जांबाज सिपाहियों ने नेता सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में भर्ती होकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ी थी। दोनों ही सिपाही अब इस दुनिया में नहीं है। पर उनकी लड़ी लड़ाई से आज हम आजादी की हवा में सांस ले रहे हैं। दोनों सिपाही ने जिस संघर्ष के साथ देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, उससे उनके परिजनों को गर्व की अनुभूति होती है। परंतु उनको टीस भी है कि उनके निधन के बाद शासन और प्रशासन भी उनको भूल गया है।

आजादी के समय जो सपने देखे वो अभी अधूरे

गांव बैजलपुर के रतिराम कादियान और श्योकरण खाखल में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। इसलिए उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी की आजाद हिंद फौज में भर्ती होकर आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। रतिराम ने देश की आजादी के लिए दो साल जेल में भी काटे। उनके इसी संघर्ष पर उनको तीन मेडल मिल चुके हैं। वहीं श्योकरण ने भी बर्मा में अंग्रेजी सरकार से लड़ाई के दौरान सात माह जेल में काटने पड़े। 15 मई 2003 में सेनानी रतिराम व वर्ष 2005 में श्योकरण खाखल का निधन हो चुका है। दोनों के परिजनों को मलाल है कि सरकार ने गांव व जिले में कहीं भी स्मारक या पार्क इनके नाम पर नहीं रखा है। संवाद

आजादी के समय जो सपने देखे वो आज भी अधूरे

गांव बैजलपुर में 6000 के लगभग आबादी है तथा 3700 मतदाता हैं। स्वतंत्रता सेनानियों के गांव में जो विकास व मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए थी वह 75 साल बीतने के बाद भी उपलब्ध नहीं हो पाई है। स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धाओं ने आजादी के बाद जो सपने देखे थे वह आज भी अधूरे हैं। गांव की ऊबड़-खाबड़ फिरनी व गलियां, पीने के पानी की समस्या, खेल स्टेडियम का अभाव, स्वास्थ्य सेवाएं व स्वच्छता में हालात बहुत खराब है। संग्राम के महान दोनों योद्धाओं के नाम पर कोई भी सम्मानजनक पार्क या स्मारक नही बना।

स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों की हो रही है अनदेखी

देश की आजादी के नायक रतीराम कादियान के बेटे धर्मपाल कादियान ने बताया कि उनके पिता के देहांत के बाद परिजनों को स्वतंत्रता एवं गणतंत्र दिवस पर निमंत्रण देना बंद कर दिया है। जबकि ऐसे मौके पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को प्रशस्ति पत्र देकर याद करना चाहिए। मगर ऐसा प्रशासनिक स्तर पर हो नहीं रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *