फतेहाबाद में डीएपी के बाद बढ़ा यूरिया का संकट, किसानों को नहीं मिल रहा खाद, गेहूं उत्पादन होगा प्रभावित
फतेहाबाद में अब यूरिया का संकट आ गया है। किसानों को यूरिया खाद नहीं मिल रहा है। इससे किसान परेशान है। किसानों का कहना है कि गेहूं में पहली सिंचाई के बाद यूरिया की जरूरत तो पड़ती है, लेकिन खाद नहीं मिल पाता है। इससे उन्हें परेशानी हो रही है। किसान संगठनों की मांग है कि सरकार यूरिया की समुचित व्यवस्था करे, ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. यूरिया खाद के बिना गेहूं का उत्पादन प्रभावित होगा।
जिले के 20 हजार एकड़ में जलभराव के कारण गेहूं नहीं बोया गया
जिले में अब तक 3.25 लाख एकड़ में गेहूं की बोवनी हो चुकी है। जिन किसानों ने अगेती गेहूं बोया है। वे किसान अब गेहूं के खेत में पहली सिंचाई कर रहे हैं। गेहूं को सिंचाई के बाद खाद की जरूरत होती है। ऐसे में किसानों को बाजार में यूरिया खाद नहीं मिल पा रहा है। इससे समस्या और बढ़ गई है। इफको और कृभको केंद्रों पर किसानों को यूरिया खाद नहीं मिल रहा है। वहीं व्यापारी किसानों को यूरिया खाद के साथ खरपतवार नाशक दवा का भी विक्रय कर रहे हैं। इससे उन्हें यूरिया की बोरी 500 रुपए से अधिक मिल रही है, जबकि इसकी सरकारी कीमत 270 रुपए ही है।
जलभराव से गेहूं की बुआई प्रभावित, नुकसान से बचने यूरिया डाल रहे
इस बार बारिश के कारण जिले में करीब 50 हजार एकड़ में जलभराव हो गया। इसमें से अब 20 हजार एकड़ में गेहूं की बुआई प्रभावित हुई है। ऐसे में जो किसान देर से गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। उन किसानों के लिए बिजाई के साथ डीएपी के साथ यूरिया लगाना जरूरी है, लेकिन यूरिया नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को यूरिया का उचित प्रबंधन करना चाहिए।
अधिकारी के अनुसार
जिले में नियमित रूप से यूरिया का स्टॉक आ रहा है। किसान नैनो यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं। नैनो यूरिया की कमी नहीं है। किसान को सिर्फ इसका छिड़काव करना है। नैनो यूरिया आधा लीटर प्रति एकड़ पर्याप्त है।
—- डॉ. राजेश सिहाग, डीडीए।