हरियाणा के 882 जलस्त्रोतों का पानी पीने योग्य नहीं

हरियाणा के 882 जलस्त्रोतों का पानी पीने योग्य नहीं

बलवान शर्मा, नारनौल: व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पीने के पानी का प्रभाव पड़ता है। यदि आपके पानी में फ्लोराइड और टीडीएस की मात्रा ज्यादा है तो यह आपका स्वास्थ्य भी बिगाड़ देगा। हरियाणा में पीने के पानी की व्यवस्था सिंचाई और जमीनी पानी आधारित है। आमतौर पर जमीन के पानी को स्वच्छ माना जाता है, लेकिन यह पानी भी आपकी सेहत बिगाड़ रहा है। हरियाणा में करीब 13 हजार से अधिक बोर के जरिये पीने का पानी सप्लाई किया जा रहा है। इनमें से 882 जलस्त्रोत लोगों की सेहत बिगाड़ने का कार्य कर रहे हैं। जाहिर है कि इन स्त्रोतों से लाखों लोग रोजाना पानी पी रहे हैं और उनको दांतों का दर्द, हड्डियां कमजोर और जोड़ों के दर्द की परेशानी से निपटना पड़ रहा है।

जनस्वास्थ्य विभाग एक साल में दो बार पानी की टेस्टिंग करता है। मानसून से पूर्व और मानसून के बाद। मानसून से पूर्व प्रदेश भर में किए गए टेस्टों की स्थिति यह रही है।

बाक्स

जिला अनफिट स्त्रोतों की संख्या

अंबाला 03

भिवानी 96

चरखीदादरी 28

फरीदाबाद 60

फतेहाबाद 06

गुरुग्राम 78

हिसार 28

झज्झर 25

जींद 66

कैथल 55

कुरुक्षेत्र 13

महेंद्रगढ़ 120

नूंह 68

पलवल 88

पानीपत 11

रेवाड़ी 52

रोहतक 40

सिरसा 25

सोनीपत 20

कुल 882

इन जल स्त्रोतों के पानी में फ्लोराइड और टीडीएस की मात्रा सामान्य से ज्यादा मिली है। कुछ स्त्रोतों में तो फ्लोराइड और टीडीएस इतना अधिक है कि यह पानी पीने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ना तय है।

क्या टीडीएस

टीडीएस (टोटल डिसाल्वड सालिड्स) का मतलब है कि पानी में पूर्णतः घुले हुए ठोस पदार्थ। पानी में ठोस पदार्थों की सामान्य लिमिट 500 से लेकर दो हजार एमजी/एलटी(मिलीग्राम लीटर में) होता है। लेकिन जांच में पता चला है कि जलस्त्रोतों में टीडीएस की मात्रा तीन से पांच हजार तक मिली है। (टीडीएस) में अकार्बनिक लवण (मुख्यतः कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, बाइकार्बोनेट, क्लोराइड और सल्फेट्स) और कुछ छोटी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पानी में विघटित होते है और विशेष रूप से भूजल में, नाइट्रेट भी पानी में पाए जाते हैं।

अधिक टीडीएस वाला पानी पीने से व्यक्ति को उल्टी दस्त, बुखार, घबराहट होना, किडनी में पथरी के साथ कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। पथरी की शिकायत होने पर उसका समय पर उपचार करवाना जरूरी है। फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से दांतों में दर्द, हड्डियां कमजोर और जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। लोगों को आरओ का पानी ही इस्तेमाल करना चाहिए। – सुधीर कुमार, रसायन वैज्ञानिक

 

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